Tuesday 3 April 2012

आई आई टी के परीक्षार्थियों एवं अभिभावकों के लिए मनोवैज्ञानिक परामर्श



 आई आई टी की परीक्षा में तनाव सबको, पर परेशानी   सिर्फ कुछ को ही !!

परीक्षा के पहले छात्रों का तनाव में आना बिलकुल स्वाभाविक है ! परन्तु यह भी एक तथ्य है की जिन्हें तनाव नहीं होता वे परीक्षा में अच्छा भी नहीं  करते हैं ! परीक्षा में तनाव समस्या तब है जब विद्यार्थी अपनी जानकारी से कम प्रदर्शन   करता है ! ! और यह भी जानना चाहिए की तनाव होता क्यों है.....इसके कई कारण है पर  आई आई टी की परीक्षा में  होने के कारण निम्न है

१) आई आई टी की परीक्षा की सबसे ख़ास  बात यह की इस परीक्षा में तनाव बहुत  कम  विद्यार्थी  को ही होता है, 90% विद्यार्थियों को मालूम होता है की उनका होना नहीं है, सिर्फ  शामिल  होना है 

२) जो छात्र गंभीरता से तयारी करतें हैं उसमे भी जो विद्यार्थी टॉप  ५०० रंक के सम्भावना वाले होतें है उनकी चिंता सिर्फ इस बात की  होती है की टॉप rank   न छूटे जिससे उन्हें मन माफिक ब्रांच मिले 

   यहाँ से समस्या शुरू होती है! एक एक अंक rank आगे पीछे कर देता है इसलिए तनाव से ग्रस्त छात्र जानने के बावजूद अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं.इसलिए सबसे पहले   विद्यार्थियों को यह जान लेना चाहिए की स्मरण शक्ति शांत अवस्था में अधिकतम कार्य करती है !  

३) दूसरा समूह वह है जो दसवी के मेरिट के आधार पर टॉप ५०० के लायक होते हैं , परन्तु दो साल ठीक से पढाई नहीं करने के कारण टॉप ५००० के लायक रह जाते हैं और कई तो दौड़ से बाहर रहते हैं, पर इस स्थिति को विद्यार्थी भी झुठलाते हैं और अभिवावक भी महशूस नहीं करना चाहतें हैं...उनपर तनाव अधिक रहता है ! इस तनाव से बचने का एकमात्र तरीका है, के अभिवावक खुला संवाद कर अन्य विकल्प के लिए खुद तैयार रहें और बच्चों को भी करें

३) तीसरा वर्ग वह है जो बोर्डर लाइन केस रहता है.. वे उत्तीर्ण कर भी सकते हैं और नहीं भी . इन विद्यार्थियों में तनाव सबसे ज्यादा रहता है और इनके लिए तनाव नियंत्रित करना सबसे जरुरी है!! तयारी के अलावा जितना तनाव रहित रहेंगे उतना अच्छा प्रदर्शन करेंगे...माता पिता की बड़ी भूमिका रहती है.

विद्यार्थियों के लिए 
कुछ भी नया नहीं पढें. जिस विषय को आप दो साल में कमांड नहीं कर सकें है उसे आखिरी सप्ताह में याद नहीं कर सकते 
* शनिवार की रात जल्दी सो जायें : परीक्षा के अंतिम रात बिलकुल देर तक नहीं जागें  
* कोई भी शंका हो तो सिर्फ उन्ही शिक्षक से पूछे जिनसे दो साल पढ़ा हो
* उन मित्रों से दूर रहें जो सिर्फ तरह तरह का प्रश्न करते हैं..कुछ अच्छे विद्यार्थी भी मनोरंजन के लिए ऐसा करते हैं 


अभिवावकों के लिए   
एक महत्वपूर्ण बात यह भी है की आई आई टी जैसी परीक्षाओं के पहले अभिवावक का तनाव बच्चों से कम  नहीं रहता है 
* तनाव आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है क्योंकि ये बच्चे के भविष्य से जुड़ी बात है पर इस बात को सुनिश्चित करें की आपकी व्यग्रता, एवं उदिग्नता का प्रयास बच्चे पर न पड़े...एक एक घंटे के पढाई अत्यंत महत्वपूर्ण है ...बच्चे के तनाव रहित होने में घर के माहौल की बड़ी भूमिका है !
* बच्चों के भोजन पर ध्यान दें....बहार के भोजन को यथा संभव वर्जित कर दें और साथ में यह भी प्रयास करें  की  परीक्षा jaisi भी जाय  उस दिन बच्चे के मनोनुकूल होटल जरुर ले जाएँ
*  बच्चों को सोने के लिए भी ज्यादा दवाब  न बनाएँ सिवाय परीक्षा के एक रात पहले ....

तनाव के रहते जितना अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना संभव नहीं है उसी प्रकार यह भी मान लें के तनाव रहित अवस्था होना भी संभव नहीं है....अतः बच्चों को तनाव रहित करने के लिए भी ज्यादा प्रयास नहीं करना चाहिए..

Sunday 26 February 2012

सिबल पैटर्न ऑफ़ आई आई टी जे ई ई : किसका नफा किसका नुकसान

सिबल पैटर्न  ऑफ़  आई आई टी जे ई ई : किसका नफा किसका नुकसान

अभी तक नए पैटर्न  पर अंतिम  मुहर नहीं लगी है, पर   आई आई टी जे ई ई और ए.आई ई ई ई के स्थान पर एक संयुक्त परीक्षा होगी ये तय लग रहा है ! अगर ये लागू होता है तो इसके क्या परिणाम  होगा ये समझना आवश्यक है ...

विद्यार्थियों के लिए : सिबल साहब  यह मानते  है की बच्चों पर बहुत अधिक दवाब था और इससे यह कम होगा.....पैटर्न बदलने से कभी भी दवाब कम नहीं होता है, जिस साल लागू होता है उस साल के बच्चों के लिए अनिश्चितता  का माहौल  रहता है !अगर सत्र शुरू होने के पूर्व अधिसूचना जारी नहीं होती है तो यह सबके लिए उलझन भरा होता है !!! वैसे लोग जो ये सोचते हैं की इससे दवाब बढ़ जाएगा तो मेरा मानना यह है की...ग्यारहवीं का छात्र इतने दवाब में शुरू से रहता है की कुछ भी और पड़ने से न गंभीर छात्रों पर असर पड़ेगा और न ही अन्य पर!!  सवाल सिर्फ इतना है की सरकार को स्पष्ट करना चाहिए की आखिर वो प्रमुख बिंदु क्या हैं जिनके आधार पर पैटर्न बदलने से छात्रों को फायदा होगा  और विश्व में अपनीं शाख को बढ़ने में आई आई आई टी को मदद मिलेगी

कोचिंग इंस्टिट्यूट  के लिए  : सिबल साहब ये मानते हैं क़ि  कोचिंग इंस्टिट्यूट  के लिए घातक  होगा तो उन्हें ५ साल पीछे जाकर देखना होगा. जब subjective pattern से objective हुआ था  तब लगा था क़ि कोचिंग का प्रभाव घाट जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ, बारहवी पास के बच्चे कम जरुर हुए पर ग्यारहवी के अधिकतर छात्र कोचिंग की और मुखातिब हो गए!! और पूरा भारत देखेगा का इस बार भी ऐसा ही होगा और अब ग्यारहवी ही नहीं नवमी के बच्चों का बाजार बड़ा होग जायेगा और अगले ५ वर्षों में वह छठी कक्षा तक चला जायेंगा ..जहाँ     आई आई टी जे ई ई  २०११ में ४ लाख पचासी हज़ार बच्चे बैठे वहीँ  ए.आई ई ई ई २०११ में लगभग ग्यारह लाख   छात्रों ने भाग लिया...इसका सीधा तात्पर्य है की कम से कम १२ लाख विद्यार्थी जरुर बैठेंग और परीक्षा के एकीकृत होने से यह संख्या  १५- २० लाख तक हो सकती है !! कोचिंग के लिए सिबल साहब ने एक बड़े बाज़ार का निर्माण कर दिया है.... दो बार परीक्षा अगर होगी तो crash course  का बाज़ार अलग अलग नामों से खुल जाएगा !

उन्हें शायद नहीं मालूम...२०१३ ही नहीं २०१४ में परिक्ष के संभावित toppers  बड़े बड़े संस्थानों में नामांकन ले चुके हैं और जब ये कोचिंग इंस्टिट्यूट बड़े बड़े इश्तेहार देकर सफल छात्रों की सूचि प्रकाशित करेंगे तब अभिवावकों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं होगा सिवाय कोचिंग में डालने के... इतना ही नहीं aptitude test  के नाम पर हो सकता है Std ६ से भी यह वृहद् व्यापार का रूप ले ले ..

शायद सिबल साहब भूल रहे हैं की अगर भगवान की प्रमाणिक उपस्थिति के आभाव में जब भारत में पंडितों-पुरोहितों- धार्मिक प्रवचनकर्ताओं  की आमदनीं नहीं घटी तो कोचिंग की आमदनी कभी नहीं घटेगी हो सकता है के स्कूल के शिक्षक ही कोचिंग के नए झंडाबरदार बन जाएँ. 

अभिवावकों के लिए : १९९० तक लोग बच्चों की   स्कूल fee देते थे.....२०१२ तक स्कूल + कोचिंग fee .......और सिबल पैटर्न के बाद स्कूल + कोचिंग + school teacher tuition fee लग सकता है ..

स्कूल के लिए : कुछ खोयी हुई प्रतिष्ठा वापस आएगी .....fee  बढ़ सकता है ...... कोचिंग के मालिक नए प्रकार के लिए स्कूल के जनक हो जायेंगे और popular - semi popular .. Remote   स्कूलों में भी integrated course शुरू करेंगे और दोनों के लिए लाभ का सौदा होगा....बोझ बढेगा तो सिर्फ अभिवावकों  का ....जिसके लिए कदापि कोचिंग और स्कूल को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है....

सरकार के  लिए  :  शायद सिबल पैटर्न ऑफ़ आई आई टी से सरकार को बहूआयामी फायदा होगा.....सरकार अमेरिकी और विदेशी संस्थानों के भारत में प्रवेश की भूमिका बनाने में सफल रहेगी...सैट पैटर्न को popularize करने में सफल हो जायेगी  ...........प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज को फायदा पहुँचाने में भी सफल रहेगी ....

फिर भी यह है एक अकाट्य सत्य है.....सिबल पैटर्न आने के बाद भी अच्छे बच्चे ही आई आई आई टी  जायेंगे.....नुकसान होगा तो आई आई आई टी  के reputation का........जिसको बनाने में कितने ही प्राध्यापकों, विद्यार्थियों एवं corporate leaders का योगदान है...

Wednesday 28 December 2011

अन्ना का आन्दोलन: दिल्ली मस्त, मुंबई पस्त क्यों

अन्ना का आन्दोलन: दिल्ली मस्त, मुंबई पस्त क्यों

को किसी एक मुद्दे पर भारतीय जनमानस  के साथ साथ संसद को सोचने  एवं कुछ करने पर विवश करने वाले अन्ना हजारे को  आखिर करे वैसा जनसमर्थन क्यों नहीं मिला जैसा अगस्त में दिल्ली के आन्दोलन में मिला था. इसके कारणों को जानने के पहले ये भी ध्यान रखना जरुरी है की मुंबई में जन सैलाब नहीं उमड़ा इसका कदापि यह संकेत नहीं है की जनता फिर बहार नहीं निकलेगी  

मुंबई में व्यापक जनसमर्थन की कमी के  पीछे अनेक कारण थे.. सर्वप्रथम, ये ध्यान देना जरुरी है की अगस्त के  आन्दोलन की  सफलता में टीम अन्ना  के संगठनात्मक कौशल के साथ सरकार की दमनकारी नीतियों ने अहम् भूमिका निभाई थी. देश ने ४ जून को स्वामी रामदेव द्वारा आयोजित अनशन में मध्य रात्रि की बर्बरता को भुला नहीं था, की सत्ता के गलियोरों से अनशन को कुचलने की तयारी ने जन मानस को उद्वेलित करे दिया था .महंगाई एवं आम जीवन के भ्रस्टाचार से त्रस्त जनता को यह नागवार गुजरा की लोकतंत्र की दुहाई देने वाली ये सरकार आखिर लोगों को विरोध करने का भी अधिकार क्यों नहीं देना चाहती है. सुबह को शांन्ति के लिए खतरा बताते हुए अन्ना को जेल में डालना, फिर जन समर्थन देखते हुए रिहा करना और पुनश्च  अन्ना द्वारा  अनशन स्थल मिले  बिना निकलने से इनकार करना, जनता को अपनी  ताकत समझने का जरिया बन गया .

इससे भी बरी बात तब हुई जब अनशन करने की लिए रामलीला मैदान सरकार को मिला गयी. जनता को पहली बार अपनी ताकत का अहसास हुआ और जो भरोस टीम  अन्ना के सदस्य दिला रहे थे  उसपर उनको यकीन हो गया.. जनता को लगा की हमारी मांग निश्चित रूप से पूरी  होगा. इसने पुरे देश को जोर दिया. लोकपाल बिल इस आन्दोलन से पास हो जायेगा और ये आजादी की दूसरी लड़ाई है इस बात को समझाने में टीम अन्ना सफल हो गयी थी...पर इस बार जब मुम्बई में आन्दोलन हो  रहा था तब जनता को ही नहीं अरविन्द केजरीवाल एवं किरण बेदी जैसे शीर्ष नेत्रित्व की बातों से यह अहसास जनता  को नहीं हुआ...यह मानव स्वाभाव है वह हर उस चीज में जुड़ना चाहती है जिसमे उसे लगता है की सफलता निश्चित. है....मुंबई में लोगों को यही एहसास हुआ की यह एक निर्णायक लड़ाई न होकर आन्दोलन का एक चरण है . इधर संसद में चल रही कार्यवाही से उनको लगा की संसद को जो करना था कर दिया अब आन्दोलन करने से भी कोई फायदा नहीं है 

तीसरी बात यह हुई की दिल्ली में अन्ना ने आमरण अनशन का आह्वान किया था....इस आह्वान से हर एक भारतीय में यह सन्देश गया की  जान  की बाजी लगाने के लिए एक बुजुर्ग बैठा है और कम से कम इस आन्दोलन में जाकर अपनी आहुति जरुर दी जाई .सरकार ने भी जब जब अनशन के औचित्य पर सवाल दागे, लोगों को लगा आखिर सरकार भ्रस्टाचार मिटाने के बजाई अन्ना एवं आन्दोलन को क्यों निशाना बना रही है. समर्थन बढ़ता गया..ऐसा कुछ मुंबई में नहीं हुआ ..सीमित अनशन ने लोगों में वह उत्साह नहीं पैदा किया जो दिल्ली के अनशन ने किया .इस अनशन को सीमित स्वरुप देने में दिग्विजय सिंह की भी अहम् भूमिका रही जिन्होंने बार बार कटाक्ष कर टीम अन्ना को भी  साथ में अनशन करने पर मजबूर कर दिया..

चौथी बात यह रही की  अन्ना के प्रमुख सदस्यों की कर्मभूमि दिल्ली रही है जहाँ इनके निजी समर्थको की भारी तादाद है तथा सामाजिक संस्थाओं से भी अच्छे सम्बन्ध थे...कही न कही यह भी दीखता है की दक्षिण पंथी एवं धार्मिक परम्परों वाले सामजिक कार्यकर्ता इस आन्दोलन से अनाय्न्य कारणों  से नहीं  जुड़े.. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की उदासीनता और श्री रविशंकर के कार्यकर्ता के उदासीनता भी एक वजह रही..हरिद्वार से संचालित युग निर्माण योजना, जिनके हजारों कार्यकर्ता हर जिले में रहते हैं उन्होंने भी दिल्ली के आन्दोलन को खुला समर्थन दिया था. शांतिकुंज, हरिद्वार के प्रमुख श्री प्रणव पंड्या के आह्वान से भी बहुत लोग जुटे..स्थानीय मीडिया एवं नगर के प्रमुख लोगों ने भी जो सकारात्मक रवैया दिल्ली में अपनाया वह मुंबई मे नदारद थी क्योंकि शिव सेना एवं बाल ठाकरे का विरोध था 

 दिल्ली का आन्दोलन देश के लिया एक नया अनुभव था और हर चीज़ एक नए जोश का संचार करते हुए अधिक से अधिक लोगों को जोड़ते जा रही थी..इस बार प्रक्रिया से लेकर बयान भी लोगों के सुने हुए थे. भीड़ तब जुटती है जब सफलता निश्चित होती है. अभी अनिश्चितता का वातावरण है , इसलिए जनता रूपी शेर मांद में है..जब शिकार निश्चित लगेगा जनता फिर बहार आएगी..और जनता न अन्ना हजारे के लिए बहार आई ठिया न स्वामी रामदेव के लिए, न वह कांग्रेस के विरोध के लिए सड़क पर थी न भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के लिए एकजुट हुई थी...जनता भ्रस्टाचार, महंगाई से लड़ने वाली एक इमानदार लौ दिखी थी..इसलिए आई थाई...आगे भी आएगी ....हर उस व्यक्ति के साथ आएगी जो उसे लगेगा की वह उसके लिए खडी है.

Wednesday 19 October 2011

Blueprint to defame team anna and the movement

Blueprint to defame team anna and the movement


Till april, 2011 neither I had exposure to understand the implication of corruption nor felt the urge to be supporter of anti corruption crusade.. Since April  I am following this movement with .hope in heart and apprehension in mind. Till now country is very much aware of different means adopted by affected parties to divert, crush, and to divide the movement. Ultimately political class will succumb or not will depend on ability of core team of Team Anna to win faith of masses who are neutral and engrossed in their day to day affair.


However I believe following things may happen to weaken the movement because 1 % of people who control the fate of 99% of public are not interested to get things done….

Engineer more split:

Engineer split and Ensure more team members from core team and state unit leave and level allegation

Engineer internal bickering thru supporters:

To choose people who were active in the movement  and instigate them to level charges against top leadership by them

To ensure that  allegations are leveled against the state level leadership by local people

To provoke active supporters across the country to ask the use and misuse of funds by top leadership related to their travel and other expense

To make any of successful organizers of IAC  to speak the language which may give opposition to brand it as  communal, casteist and  separatist

Forced leadership
They may create a situation where  Team Anna would be compelled to comment whether they accept participation of officers like sanjiv bhatt so that modi and BJP can be battered, or try to impose any anti opposition party activist so that subject  could be diverted

Awards and Appreciation as tool to create Rift

Government may use its different machinery of grass root workers and bank financers to give award to some and then create rift

In Ralegon Siddhi

They may try to split the village either thru developtmental work or other means so that Team anna faces protest there itself



Lastly and most importantly they will leave no stones unturned to ensuere that  their supporters in disguise of “Aam Admi” publicly ridicule and hurl objects so that they can say that “ look it is not us but aam admai who is against you:”. Not to forget that they will also compel to ensur show of strength as it is happening in Mumbai and so that they couls comment about dwindling support and launch malicious campaign about using public for their personal agenda

Thursday 13 October 2011

New pattern of IIT JEE will benefit America or India



In 2009 Mr kapil sibal very enthusiastically informed "American universities are interested to come to India"  All debate about inclusion of board marks and aptitude test started around same time. Schools are genuinely concerned that students are not giving importance to school and effort has to be made to make school study effective. But at the backdrop it seems things are more deeper than it appears. Goverment's agenda is multi directional

On 13 th october, 2011 As the first ever high-level Indo-US education summit gets underway, India today pitched for famed American universities to "reach out" to the country, with the visiting minister Kapil Sibal saying that tie-ups would yield high economic return. Today in Washington where he was  to co-chair the US-India educational summit with Secretary of State Hillary Clinton  said that the foreign university has to be an accredited institution and should have been in the business for 20 years "before it even thinks of coming to India and has to invest "10 million dollar". 
 

In presence of 300 education industry leaders Mr Sibal pointed out that investing in the Indian education sector makes good economic sense for the US as the return on investment in India is much higher as compared to any other country.

It is amply clear that governments only "interest is betterment of students" and this arrangement will help flow of money in the country or to america is to be seen.

Now it can be very well co related that government wants aptitude test and entrance in American university is done through Scholastic Aptitude test(SAT). All change for betterment is welcome but change for the sake of benefiting americans, as it appears puts question mark on the whole process.

Will inviting american university raise the standard of IITs?
Will Reducing the diificulty level of Question in IITJEE  raise the standard of IITs?
Will not going to coaching institute raise the standard of IIT?
Will  taking Board marks in calculation   not result in Rise of super coaching led by School teachers....

Bill Gates wants IITians to work in his company and government wants americans universities to work in India

Wednesday 12 October 2011

IITJEE Coaching Industry outsmarts Kapil Sibbal

At a time when  Mr Kabil sibbal is busy formulating new patter for IITJEE..and thinking that he would be able to stop the march of students to coaching insitutes... the masters of coaching industry has definitely outsmarted him.

For 2012-13/14 session FIITJEE has taken its admission test on 9th October, Vidyamandir classes has scheduled test on 16th October, Narayana IIT Academy on 23rd october Aakash Institute has scheduled its test on 27th November and resonance is taking test in Decmber.

Till 2005 amdission used to start in April but then trend startedchanging and process started in december itself. Till last year Normally admission initiative started in December and first round of admission happened in january-February but this year due to direct reasons unknown coaching insitutes will be taking first round of admission in nov-december. Till last year Resonance had taken its first test in April itself but this year they are ready in december itself.Report of Ramaswamy committee is expected very soon and that may have some effect on the minds of students.

As a matter of fact parent and students are highly enthusiastic about these admission process and participating in huge numbers. Parents are definitely anxious to know the fall out of the new pattern but they seem to be relaxed in hands of coaching insitutes. Most worried lot is teachers who are assoicated with the industry.

By the time Mr sibbal will come with new plan, all bright and ignorant would already have taken admission in coaching institutes......