सिबल पैटर्न ऑफ़ आई आई टी जे ई ई : किसका नफा किसका नुकसान
अभी तक नए पैटर्न पर अंतिम मुहर नहीं लगी है, पर आई आई टी जे ई ई और ए.आई ई ई ई के स्थान पर एक संयुक्त परीक्षा होगी ये तय लग रहा है ! अगर ये लागू होता है तो इसके क्या परिणाम होगा ये समझना आवश्यक है ...
विद्यार्थियों के लिए : सिबल साहब यह मानते है की बच्चों पर बहुत अधिक दवाब था और इससे यह कम होगा.....पैटर्न बदलने से कभी भी दवाब कम नहीं होता है, जिस साल लागू होता है उस साल के बच्चों के लिए अनिश्चितता का माहौल रहता है !अगर सत्र शुरू होने के पूर्व अधिसूचना जारी नहीं होती है तो यह सबके लिए उलझन भरा होता है !!! वैसे लोग जो ये सोचते हैं की इससे दवाब बढ़ जाएगा तो मेरा मानना यह है की...ग्यारहवीं का छात्र इतने दवाब में शुरू से रहता है की कुछ भी और पड़ने से न गंभीर छात्रों पर असर पड़ेगा और न ही अन्य पर!! सवाल सिर्फ इतना है की सरकार को स्पष्ट करना चाहिए की आखिर वो प्रमुख बिंदु क्या हैं जिनके आधार पर पैटर्न बदलने से छात्रों को फायदा होगा और विश्व में अपनीं शाख को बढ़ने में आई आई आई टी को मदद मिलेगी
कोचिंग इंस्टिट्यूट के लिए : सिबल साहब ये मानते हैं क़ि कोचिंग इंस्टिट्यूट के लिए घातक होगा तो उन्हें ५ साल पीछे जाकर देखना होगा. जब subjective pattern से objective हुआ था तब लगा था क़ि कोचिंग का प्रभाव घाट जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ, बारहवी पास के बच्चे कम जरुर हुए पर ग्यारहवी के अधिकतर छात्र कोचिंग की और मुखातिब हो गए!! और पूरा भारत देखेगा का इस बार भी ऐसा ही होगा और अब ग्यारहवी ही नहीं नवमी के बच्चों का बाजार बड़ा होग जायेगा और अगले ५ वर्षों में वह छठी कक्षा तक चला जायेंगा ..जहाँ आई आई टी जे ई ई २०११ में ४ लाख पचासी हज़ार बच्चे बैठे वहीँ ए.आई ई ई ई २०११ में लगभग ग्यारह लाख छात्रों ने भाग लिया...इसका सीधा तात्पर्य है की कम से कम १२ लाख विद्यार्थी जरुर बैठेंग और परीक्षा के एकीकृत होने से यह संख्या १५- २० लाख तक हो सकती है !! कोचिंग के लिए सिबल साहब ने एक बड़े बाज़ार का निर्माण कर दिया है.... दो बार परीक्षा अगर होगी तो crash course का बाज़ार अलग अलग नामों से खुल जाएगा !
उन्हें शायद नहीं मालूम...२०१३ ही नहीं २०१४ में परिक्ष के संभावित toppers बड़े बड़े संस्थानों में नामांकन ले चुके हैं और जब ये कोचिंग इंस्टिट्यूट बड़े बड़े इश्तेहार देकर सफल छात्रों की सूचि प्रकाशित करेंगे तब अभिवावकों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं होगा सिवाय कोचिंग में डालने के... इतना ही नहीं aptitude test के नाम पर हो सकता है Std ६ से भी यह वृहद् व्यापार का रूप ले ले ..
शायद सिबल साहब भूल रहे हैं की अगर भगवान की प्रमाणिक उपस्थिति के आभाव में जब भारत में पंडितों-पुरोहितों- धार्मिक प्रवचनकर्ताओं की आमदनीं नहीं घटी तो कोचिंग की आमदनी कभी नहीं घटेगी हो सकता है के स्कूल के शिक्षक ही कोचिंग के नए झंडाबरदार बन जाएँ.
अभिवावकों के लिए : १९९० तक लोग बच्चों की स्कूल fee देते थे.....२०१२ तक स्कूल + कोचिंग fee .......और सिबल पैटर्न के बाद स्कूल + कोचिंग + school teacher tuition fee लग सकता है ..
स्कूल के लिए : कुछ खोयी हुई प्रतिष्ठा वापस आएगी .....fee बढ़ सकता है ...... कोचिंग के मालिक नए प्रकार के लिए स्कूल के जनक हो जायेंगे और popular - semi popular .. Remote स्कूलों में भी integrated course शुरू करेंगे और दोनों के लिए लाभ का सौदा होगा....बोझ बढेगा तो सिर्फ अभिवावकों का ....जिसके लिए कदापि कोचिंग और स्कूल को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है....
सरकार के लिए : शायद सिबल पैटर्न ऑफ़ आई आई टी से सरकार को बहूआयामी फायदा होगा.....सरकार अमेरिकी और विदेशी संस्थानों के भारत में प्रवेश की भूमिका बनाने में सफल रहेगी...सैट पैटर्न को popularize करने में सफल हो जायेगी ...........प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज को फायदा पहुँचाने में भी सफल रहेगी ....
फिर भी यह है एक अकाट्य सत्य है.....सिबल पैटर्न आने के बाद भी अच्छे बच्चे ही आई आई आई टी जायेंगे.....नुकसान होगा तो आई आई आई टी के reputation का........जिसको बनाने में कितने ही प्राध्यापकों, विद्यार्थियों एवं corporate leaders का योगदान है...
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